रविवार, अप्रैल 26, 2009

तुम तूफ़ान समझ पाओगे? / हरिवंशराय बच्चन

तुम तूफ़ान समझ पाओगे?


गीले बादल, पीछे रजकण,

सूखे पत्‍ते, रूखे तृण घन,

लेकर चलता करता 'हरहर'- इसका गान समझ पाओगे?

तुम तूफ़ान समझ पाओगे?


गंध-भरा यह मंद पवन था,

लहराता इससे मधुवन था,

सहसा इसका टूट गया जो स्‍वप्‍न महान, समझ पाओगे?

तुम तूफ़ान समझ पाओगे?


तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाऍं,

नोच-खसोट कुसुम-कलिकाऍं,

जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!

तुम तूफ़ान समझ पाओगे?

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