सोमवार, मई 11, 2009

यह बात तो गलत है

कोई किसी से खुश हो और वो भी बारहा हो
यह बात तो गलत है
रिश्ता लिबास बन कर मैला नहीं हुआ हो
यह बात तो गलत है



वो चाँद रहगुज़र का, साथी जो था सफर का
था मोजिज़ा नज़र का
हर बार की नज़र से रौशन वह मोजिज़ हो
यह बात तो गलत है



है बात उसकी अच्छी, लगती है दिल को सच्ची
फिर भी है थोड़ी कच्ची
जो उसका हादिसा है मेरा भी तजरुबा हो
यह बात तो गलत है



दरिया है बहता पानी, हर मौज है रवानी
रुकती नहीं कहानी
जितना लिखा गया है उतना ही वाकिआ हो
यह बात तो ग़लत है



वे युग है कारोबरी, हर शय है इशतहारी
राजा हो या भिखारी
शोहरत है जिसकी जितनी, उतना ही मर्तवा हो
यह बात तो गलत है

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