शनिवार, मई 16, 2009

दामन को आँसुओं से शराबोर कर दिया

दामन को आँसुओं से शराबोर कर दिया
उसने मेरे इरादे को कमज़ोर कर दिया

बारिश हुए तो झूम के स नाचने लगे
मौसम ने पेड़-पौधों को भी मोर कर दिया

मैं वो दिया हूँ जिससे लरज़ती है अब हवा
आँधी ने छेड़-छेड़ के मुँहज़ोर कर दिया

इज़हार-ए-इश्क़ ग़ैर-ज़रूरी था , आपने
तशरीह कर के शेर को कमज़ोर कर दिया

उसके हसब-नसब पे कोई शक़ नहीं मगर
उसको मुशायरों ने ग़ज़ल-चोर कर दिया

उसने भी मुझको क़िस्से की सूरत भुला दिया
मैंने भी आरज़ूओं को दरगोर कर दिया

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