सोमवार, मई 18, 2009

यह देखकर पतंगें भी हैरान हो गयीं

यह देखकर पतंगें भी हैरान हो गयीं
अब तो छतें भी हिन्दु-मुसलमान हो गयीं

क्या शहरे-दिल में जश्न-सा रहता था रात-दिन
क्या बस्तियाँ थीं कैसी बयाबान हो गयीं

आ जा कि चंद साँसे बचीं है हिसाब से
आँखें तो इन्तज़ार में लोबान हो गयीं

उसने बिछड़ते वक़्त कहा था कि हँस के देख
आँखें तमाम उम्र को वीरान हो गयीं.

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