गुरुवार, मई 07, 2009

'मैने सांस लेना छोड़ दिया' - सौरभ कुणाल

हुई है जबसे ये हालत मेरी
मैने विश्वास करना छोड़ दिया
लौटा हूं जबसे हर दर से तनहा
मैने आस लगाना छोड़ दिया।

जलाता हूं विश्वास का आज भी दिया
मगर दिल में मेरे रोशनी नहीं होती
बढ़ाता हूं राहों पे आज भी कदम
मगर सफर है कि मेरी पूरी नहीं होती।

लगाया है जब से फरेब को दिल से
मैने दोस्त बनाना छोड़ दिया
खाया है जबसे नज़र का धोखा
मैने प्यार जताना छोड़ दिया।

करता हूं लोगों से आजमी बातें, पर
निगाहों की खामोशी मिटा नहीं सकता
छुपाता हूं आज भी दिल का दर्द
मगर आंखों के आंसू छुपा नहीं सकता।

टूटा है जबसे मेरा हर ख्वाब
मैने उम्मीद लगाना छोड़ दिया
जब से उठा भगवान से विश्वास
मैने पूजा करना छोड़ दिया।

अब अंधेरा ही दिन है
अंधेरी है रातें
अब अंधेरों से ही करता हूं
दिल की बातें।

अब है न कोई रास्ता
न मेरी कोई मंज़िल
मुझमें है खामोशी
मैं खामोशी में शामिल।

छोड़ा है जबसे किसी ने मेरा साथ
मैने हाथ बढ़ाना छोड़ दिया
उठा है जबसे इंसां से निश्वास
मैने सांस लेना छोड़ दिया।

0 टिप्पणियाँ: