मंगलवार, मई 05, 2009

'ये क्या हो रहा है !' - सौरभ कुणाल

न जाने ये क्या हो रहा है
हर कोई संवेदनाएं खो रहा है
सब हो गए हैं भावशून्य
मानवता गहरी नींद में सो रहा है।।

इंसानों में परस्पर
तलवार टकरा रहे हैं
राम और अल्ला में
लोग बांटे जा रहे हैं।।

हर ओर है
रक्त रंजित मंज़र
धर्म की तलवार से
लोग काटे जा रहे हैं।।

लोगों में गुम है
चेतना और ताकत
अब खोने लगे हैं
इंसान अपनी इंसानियत।।

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