सोमवार, मई 18, 2009

किसी का क़द बढ़ा देना

किसी का क़द बढ़ा देना किसी के क़द को कम कहना
हमें आता नहीं ना-मोहतरम को मोहतरम कहना

चलो मिलते हैं मिल-जुल कर वतन पर जान देते हैं
बहुत आसान है कमरे में बन्देमातरम कहना

बहुत मुमकिन है हाले-दिल वो मुझसे पूछ ही बैठे
मैं मुँह से कुछ नहीं बोलूँगा तू ही चश्मे-नम कहना

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