मंगलवार, मई 12, 2009

दो दो हिंदुस्तान

हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं



एक है जिसका सर नवें बादल में है
दूसरा जिसका सर अभी दलदल में है



एक है जो सतरंगी थाम के उठता है
दूसरा पैर उठाता है तो रुकता है



फिरका-परस्ती तौहम परस्ती और गरीबी रेखा
एक है दौड़ लगाने को तय्यार खडा है



‘अग्नि’ पर रख पर पांव उड़ जाने को तय्यार खडा है
हिंदुस्तान उम्मीद से है!



आधी सदी तक उठ उठ कर हमने आकाश को पोंछा है
सूरज से गिरती गर्द को छान के धूप चुनी है



साठ साल आजादी के…हिंदुस्तान अपने इतिहास के मोड़ पर है
अगला मोड़ और ‘मार्स’ पर पांव रखा होगा!!



हिन्दोस्तान उम्मीद से है..

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