शनिवार, फ़रवरी 20, 2010

भूख जैसे सवाल, मत पूछो

भूख जैसे सवाल, मत पूछो
देश का हालचाल मत पूछो!

इस प्रजातन्त्र की व्यवस्था में
तंत्र की ढील-ढाल, मत पूछो

मूल्य इतने गिरे मनुजता के
हँस रहा था दलाल, मत पूछो

उन जहाजों का डू्ब जाना ही
थी समन्दर की चाल, मत पूछो

देश की राजनीति में यारो,
पिछले सैंतीस साल, मत पूछो

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