रविवार, फ़रवरी 21, 2010

बादबाँ खुलने से पहले का इशारा देखना

बादबाँ खुलने से पहले का इशारा देखना
मैं समुन्दर देखती हूँ तुम किनारा देखना

यूँ बिछड़ना भी बहुत आसाँ न था उससे मगर
जाते जाते उसका वो मुड़कर दुबारा देखना

किस शबाहत को लिए आया है दरवाज़े पे चाँद
ए शब्-ए-हिज्राँ ज़रा अपना सितारा देखना

क्या क़यामत है कि जिनके नाम पर पसपा हुए
उन ही लोगों को मुक़ाबिल में सफ़आरा देखना

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