गुरुवार, मार्च 11, 2010

जो देते हैं दर्द उन ग़मों से क्या सिला रखना.....

जो देते हैं दर्द उन ग़मों से क्या सिला रखना
बहा दो अश्कों से न उन्हें दिल में दबा रखना

वो भला क्या समझेंगे मोहब्बत की बातें
जिनकी है अदा हर दिल को ख़फा रखना

बेच दी हो जिसने गैरत भी अपनी
क्या उनके लिए दिल में गिला रखना

आ चल चलें कहीं दिल को बहलाने
जरुरी है हर ज़ख्म को खुला रखना

मिल जायेंगे इस जहाँ में सैंकडों हमसफ़र
प्यार के फूल 'हक़ीर' दिल में खिला रखना

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