सोमवार, मार्च 15, 2010

यह गम क्या दिल की आदत है? नहीं तो

यह गम क्या दिल की आदत है? नहीं तो
किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो

है वो इक ख्वाब-ए-बे ताबीर इसको
भुला देने की नीयत है? नहीं तो

किसी के बिन किसी की याद के बिन
जिए जाने की हिम्मत है ? नहीं तो

किसी सूरत भी दिल लगता नहीं? हाँ
तू कुछ दिन से यह हालत हैं? नहीं तो

तेरे इस हाल पर हैं सब को हैरत
तुझे भी इस पर हैरत है? नहीं तो

वो दरवेशी जो तज कर आ गया.....तू
यह दौलत उस की क़ीमत है? नहीं तो

हुआ जो कुछ यही मक़्सूम था क्या
यही सारी हकायत है ? नहीं तो

अज़ीयत नाक उम्मीदों से तुझको
अमन पाने की हसरत है? नहीं तो

0 टिप्पणियाँ: