मंगलवार, मार्च 09, 2010

वक़्त के सामने ज़िन्दगी प्रार्थना

पेड़ पर्वत परिन्दे सभी प्रार्थना
वक़्त के सामने ज़िन्दगी प्रार्थना

फ़लसफ़ा आपका मुझको अच्छा लगा
आदमी के लिए आदमी प्रार्थना

इस जटिल, झूठे,चालाक संसार में
आपकी सादगी , अनकही प्रार्थना

वो जो मुफ़लिस के हक़ में लिखी जाएगी
शायरी होगी वो दर्द की प्रार्थना

रेज़गारों में झुलसे हुए शख़्स को
एक कीकर की छाँव लगी प्रार्थना

जो मछेरों को देती रही हौसले
वो नदी भी हक़ीक़त में थी प्रार्थना

युद्ध की धमकियों वाले संसार में
नन्हे बच्चों की मासूम-सी प्रार्थना.

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