सोमवार, मार्च 08, 2010

आँसुओं की तरह आँखों में जड़ा हूँ लोगो

आँसुओं की तरह आँखों में जड़ा हूँ लोगो
दर्द के ताजमहल ले के खड़ा हूँ लोगो

आश्वासन का कभी मुझ में भरा था पानी
अब फ़क़त ख़ाली बहानों का घड़ा हूँ लोगो

कल जहाँ लाश जलाई गई नैतिकता की
उस समाधि पे दिया ले के खड़ा हूँ यारो

मेरे पैरों में न बाँधो कोई नकली टाँगें
उतना रहने दो मुझे जितना बड़ा हूँ यारो

वो हवा फिर भी समझती रही बेगाना मुझे
साथ जिसके मैं कई बार उड़ा हूँ लोगो.

2 टिप्पणियाँ:

Fauziya Reyaz ने कहा…

मेरे पैरों में न बाँधो कोई नकली टाँगें
उतना रहने दो मुझे जितना बड़ा हूँ यारो

bahut khoob...waah, kya khoob likha hai

सौरभ कुणाल ने कहा…

धन्यवाद