रविवार, मार्च 29, 2009

यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

कोई काँटा चुभा नहीं होता
दिल अगर फूल सा नहीं होता
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
गुफ़्तगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता
जी बहुत चाहता सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
रात का इंतज़ार कौन करे
आज कल दिन में क्या नहीं होता

3 टिप्पणियाँ:

Madhaw ने कहा…

Aapke Bhai Ki Bhabhi Ki...
Saas Ke Bhai Ki Biwi Ki...
Saas Ke Pati Ke Jamai Ke...
Pote Ki Maa Ki Nanand Ka
Bhai Apka kaun Hai???

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वीनस केसरी ने कहा…

मान्यवर
आपने बहुत ही अच्छी गजल कही है

जी बहुत चाहता सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता

गजल व बहर के विषय में कोई भी जानकारी चाहिए हो तो सुबीर जी के ब्लॉग पर जाइये
www.subeerin.blogspot.com
आपका वीनस केसर

सौरभ कुणाल ने कहा…

बधाई मित्र
नया रंग