गुरुवार, मार्च 11, 2010

क्या खुशी देखिए

क्या खुशी देखिए, क्या ग़मी देखिए
ख़त्म होता हुआ आदमी देखिए

ज़िन्दगी मिल न पाई हमें भीड़ में
खो गई है किधर ज़िन्दगी देखिए

ओढ़कर वो अन्धेरा जिए उम्र भार
पास जिनके रही रोशनी देखिए

ख़्त्म आपके रिश्ते सभी हो गए
हर बशर है यहाँ अजनबी देखिए

प्यास होती है कैसी पता तो चले
मेरी आँखो में सूखी नदी देखिए

0 टिप्पणियाँ: