रविवार, अप्रैल 26, 2009

चाँद-सितारों मिलकर गाओ / हरिवंशराय बच्चन

चाँद-सितारों, मिलकर गाओ!


आज अधर से अधर मिले हैं,

आज बाँह से बाँह मिली,

आज हृदय से हृदय मिले हैं,

मन से मन की चाह मिली;

चाँद-सितारों, मिलकर गाओ!


चाँद-सितारों, मिलकर बोले,

कितनी बार गगन के नीचे

प्रणय-मिलना व्‍यापार हुआ है,

कितनी बार धरा पर प्रेयसि-

प्रियतम का अभिसार हुआ है!

चाँद-सितारों, मिलकर बोले।


चाँद-सितारों, मिलकर राओ!

आज अधर से अधर अलग है,

आज बाँह से बाँह अलग

आज हृदय से हृदय अलग है,

मन से मन की चाह अलग;

चाँद-सितारों, मिलकर रोओ!


चाँद-सितारों, मिलकर बोले,

कितनी बार गगन के नीचे

अटल प्रणय का बंधन टूटे,

कितनी बार धरा के ऊपर

प्रेयसि-प्रियतम के प्राण टूटे?

चाँद-सितारों, मिलकर बोले।

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