मंगलवार, अप्रैल 28, 2009

मोम की ज़िन्दगी घुला करना / बशीर बद्र

मोम की ज़िन्दगी घुला करना
कुछ किसी से न तज़करा करना

मेरा बचपन था आईने जैसा
हर खिलौने का मुँह तका करना

चेहरा चेहरा मेरी किताबें हैं
पढ़ने वालो मुझे पढ़ा करना

ये रिवायत बहुत पुरानी है
नींद में रेत पर चला करना

रास्ते में कई खंडहर होंगे
शह-सवारो वहाँ रुका करना

जब बहुत हँस चुको तो चेहरे को
आँसुओं से भी धो लिया करना

फूल शाख़ों के हों कि आँखों के
रास्ते रास्ते चुना करना

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