बुधवार, नवंबर 25, 2009

http://syaah.blogspot.com/

अजब दुनिया है नाशायर यहाँ पर सर उठाते हैं
जो शायर हैं वो महफ़िल में दरी-
चादर उठाते हैं
तुम्हारे शहर में मय्यत को सब काँधा नहीं देते
हमारे गाँव में छप्पर भी सब मिल कर उठाते हैं
इन्हें फ़िरक़ापरस्ती मत सिखा देना कि ये बच्चे
ज़मीं से चूमकर तितली के टूटे पर उठाते हैं
समुन्दर के सफ़र से वापसी का क्या भरोसा है
तो ऐ साहिल, ख़ुदा हाफ़िज़ कि हम लंगर उठाते हैं

मुनव्वर राना की कविता की ये पंक्तियाँ मैंने स्याह-ब्लॉग पोस्ट पर पढ़ी। गूगल पर कुछ और सर्च करते करते मैं अचानक इस ब्लॉग पोस्ट तक पहुँच गई।
स्याह- यानी काला... बड़ा ही अजीब सा नाम है इस ब्लॉग पोस्ट का... शायद इसे यह नाम अपनी काली, लेकिन सुंदर पृष्ठभूमि की वजह से दिया है जिस पर सभी अक्षर स्पष्ट और सुंदर नज़र आते हैं।
खैर.. नाम में क्या रखा है। मैं आपको इस ब्लॉग पोस्ट के बारे में इसलिए बता रही हूँ क्योंकि मैंने यहाँ उर्दू और हिन्दी के कई नामचीन कवियों जैसे अली सरदार जाफ़री, गुलज़ार, गोपाल दास "नीरज", जावेद अख़्तर, नज़ीर अकबराबादी, निदा फ़ाज़ली, निदा फ़ाज़ली, फ़िराक़ गोरखपुरी, शहरयार आदि की बेहतरीन शायरी और कविताओं
को पाया।
अगर आप भी इन बेहतरीन शायरी और कविताओं को पढ़ना चाहतें हैं तो बस http://syaah.blogspot.com/ को इंटरनेट एक्सप्लोरर में कॉपी और पेस्ट करें और शायरी और कविताओं की एक नई दुनिया में कदम रखें।

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