आप भी हो एक इंसान
जो करते हो शिक्षा दान
आपके प्रयासों से बनते हैं हम महान
अंधेरे जीवन में
आप प्रकाश भर देते हो
तभी तो, अपना
भाई, शिष्य, मित्र भी बनाते हो
जब भी निराश होता हूं जीवन से
उस मझधार से निकलने की राह बताते हो
सही और ग़लत का भेद समझाते हो
क्योंकि
हम हैं आज जहां पर
कल था कोई और
कल होगा भी कोई और
जिसे आप
सही मार्ग दिखाओगे
मंजिल तक पहुंचाओगे
तभी तो
भगवान से भी ऊंची पदवी पाकर
आप गुरू कहलाओगे...
बुधवार, अप्रैल 15, 2009
यह तो एक सिलसिला है.... सौरभ कुणाल
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1 टिप्पणियाँ:
सौरभ जी ,गुरु वंदना बहुत ताकत देती है .अच्छा लिखा है आपने ,
जय हिंद
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