सोमवार, मई 11, 2009

जब भी दिल ने दिल को सदा दी

जब भी दिल ने दिल को सदा दी
सन्नाटों में आग लगा दी...



मिट्टी तेरी, पानी तेरा
जैसी चाही शक्ल बना दी



छोटा लगता था अफ्साना
मैंने तेरी बात बढ़ा दी

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