हर एक आवाज़ अब उर्दू को फ़रियादी बताती है
यह पगली फिर भी अब तक ख़ुद को शहज़ादी बताती है
कई बातें मुहब्बत सबको बुनियादी बताती है
जो परदादी बताती थी वही दादी बताती है
जहां पिछले कई बरसों से काले नाग रहते हैं
वहां एक घोंसला चिड़ियों का था दादी बताती है
अभी तक यह इलाक़ा है रवादारी के क़ब्ज़े में
अभी फ़िरक़ापरस्ती कम है आबादी बताती है
यहां वीरानियों की एक मुद्दत से हुकूमत है
यहां से नफ़रतें गुज़री है बरबादी बताती है
लहू कैसे बहाया जाय यह लीडर बताते हैं
लहू का ज़ायक़ा कैसा है यह खादी बताती है
ग़ुलामी ने अभी तक मुल्क का पीछा नहीं छोड़ा
हमें फिर क़ैद होना है ये आज़ादी बताती है
ग़रीबी क्यों हमारे शहर से बाहर नहीं जाती
अमीर-ए-शहर के घर की हर एक शादी बताती है
मैं उन आंखों के मयख़ाने में थोड़ी देर बैठा था
मुझे दुनिया नशे का आज तक आदी बताती है
सोमवार, मई 18, 2009
हर एक आवाज़ अब उर्दू को...
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें