आज फिर चमकी है बिजलियां
गरज रहे हैं बादल भी
मन में उमंगें भरी हैं
कुछ अनजान उच्छृंखल सी।
दिन में मस्तियों का शोर है
ऐ दिल ! ये तो बता
ये किसके आने का शोर है।।
आज फिर याद आया है कोई
एक कसक सी दिल में उठी है
उनकी यादों को सलाम करने को
एक पल को सांसें भी रुकी है ।
यहां हर तरफ, कोई दिल का
तो कोई नींद का चोर है।
ऐ दिल ! ये तो बता
ये किसके आने का शोर है।।
मंगलवार, मई 05, 2009
'ये किसके आने का शोर है' - सौरभ कुणाल
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें