सोमवार, मई 04, 2009

मां है रेशम के कारखाने में

मां है रेशम के कारखाने में

बाप मसरूफ सूती मिल में है

कोख से मां की जब से निकला है

बच्चा खोली के काले दिल में है


जब यहाँ से निकल के जाएगा

कारखानों के काम आयेगा

अपने मजबूर पेट की खातिर

भूक सर्माये की बढ़ाएगा


हाथ सोने के फूल उगलेंगे

जिस्म चांदी का धन लुटाएगा

खिड़कियाँ होंगी बैंक की रोशन

खून इसका दिए जलायेगा


यह जो नन्हा है भोला भाला है

खूनीं सर्माये का निवाला है

पूछती है यह इसकी खामोशी

कोई मुझको बचाने वाला है!

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