सोमवार, मई 04, 2009

हर ख़ुशी में कोई कमी सी है

हर ख़ुशी में कोई कमी सी है
हँसती आँखों में भी नमी सी है



दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
रात की नफ़्ज़ भी थमी सी है



किसको समझायेँ किसकी बात नहीं
ज़हन और दिल में फिर ठनी सी है



ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
गर्द इन पलकों पे जमी सी है



कह गए हम किससे दिल की बात
शहर में एक सनसनी सी है



हसरतें राख हो गईं लेकिन
आग अब भी कहीं दबी सी है

0 टिप्पणियाँ: