हवा के दरमियान आज रात का पड़ाव है
मैं अपने ख़्वाब के चिराग़ को
जला न पाऊंगा ये सोच के
बहुत ही बदहवास हूँ
मैं सुबह से उदास हूँ।
मंगलवार, जून 02, 2009
सुबह से उदास हूँ।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
हवा के दरमियान आज रात का पड़ाव है
मैं अपने ख़्वाब के चिराग़ को
जला न पाऊंगा ये सोच के
बहुत ही बदहवास हूँ
मैं सुबह से उदास हूँ।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें