मैं तेरे जिस्म तक किन रास्तों से
होके पहुँचा था
ज़मीं, आवाज़ और गंदुम के ख़ोशों की महक
मैं साथ लाया था
तुझे कुछ याद आता है।
मंगलवार, जून 02, 2009
तुझे कुछ याद आता है।
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मैं तेरे जिस्म तक किन रास्तों से
होके पहुँचा था
ज़मीं, आवाज़ और गंदुम के ख़ोशों की महक
मैं साथ लाया था
तुझे कुछ याद आता है।
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