मैं नीले पानियों में घिर गया हूँ
किस तरह निकलूँ
किनारे पर खड़े लोगों के हाथों में
ये कैसे फूल हैं?
मुझे रुख़्सत हुए तो मुद्दतें गुज़रीं।
मंगलवार, जून 02, 2009
किस तरह निकलूँ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मैं नीले पानियों में घिर गया हूँ
किस तरह निकलूँ
किनारे पर खड़े लोगों के हाथों में
ये कैसे फूल हैं?
मुझे रुख़्सत हुए तो मुद्दतें गुज़रीं।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें