मंगलवार, जून 02, 2009

एक सच

शोर समाअत के दर पे है, जानते हो

मौत के क़दमों की आहट पहचानते हो

होनी को कोई भी टाल नहीं सकता

यह इक ऎसा सच है, तुम भी मानते हो।

0 टिप्पणियाँ: