शहर सारा ख़ौफ़ में डूबा हुआ है सुबह से
रतजगों के वास्ते मशहूर एक दीवाना शख़्स
अनसुनी, अनदेखी ख़बरें लाना जिसका काम है
उसका कहना है कि कल की रात कोई दो बजे
तेज़ यख़बस्ता हवा के शोर में
इक अजब दिलदोज़, सहमी-सी सदा थी हर तरफ़
यह किसी बुत की थी जो इन्सान था पहले कभी।
शब्दार्थ :
यख़बस्ता= ठंडी; सदा=पुकार,आवाज़
मंगलवार, जून 02, 2009
जो इन्सान था पहले कभी
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