मंगलवार, अप्रैल 19, 2011

दुख को सुमुख बनाओ, गाओ !

दुख को सुमुख बनाओ, गाओ !
काली घटा छंटेगी कैसे ?
रिमझिम-रिमझिम स्वर बरसाओ !

कौन सुने करुणा की वाणी ?
दीन दृगों के आँसू पानी !
पर अगीत संगीत अभी भी, -
इसका लयमय भेद बताओ !

असह सहो दृढ़ प्राण बनाओ,
अश्रुकणों को गान बनाओ,
जब सुख छिटके चन्द्रकिरण बन
सजल नयन झुक, चुप हो जाओ !

0 टिप्पणियाँ: