मंगलवार, अप्रैल 19, 2011

मेरा नाम पुकार रहे तुम

मेरा नाम पुकार रहे तुम,
अपना नाम छिपाने को !



सहज-सजा मैं साज तुम्हारा-

दर्द बजा, जब भी झनकारा

पुरस्कार देते हो मुझको,
अपना काम छिपाने का !



मैं जब-जब जिस पथ पर चलता,

दीप तुम्हारा दिखता जलता,

मेरी राह दिखा देते तुम,
अपना धाम छिपाने को !

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