रविवार, अप्रैल 26, 2009

कोई गाता, मैं सो जाता / हरिवंशराय बच्चन

कोई गाता मैं सो जाता!

संसृति के विस्‍तृत सागर पर

सपनों की नौका के अंदर

सुख-दुख की लहरों पर उठ-गिर बहता जाता मैं सो जाता!

कोई गाता मैं सो जाता!


आँखों में भरकर प्‍यार अमर,

आशीष हथेली में भरकर

कोई मेरा सिर गोदी में रख सहलाता, मैं सो जाता!

कोई गाता मैं सो जाता!


मेरे जिवन का खारा जल,

मेरे जीवन का हालाहल

कोई अपने स्‍वर में मधुमय कर बरसाता, मैं सो जाता!

कोई गाता मैं सो जाता!

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