तुझ पर भी न हो गुमान मेरा
इतना भी कहा न मान मेरा
मैं दुखते हुये दिलों का ईशा
और जिस्म लहुलुहान मेरा
कुछ रौशनी शहर को मिली तो
जलता है जले मकान मेरा
ये जात ये कायनात क्या है
तू जान मेरी जहान मेरा
जो कुछ भी हुआ यही बहुत है
तुझको भी रहा है ध्यान मेरा
मंगलवार, अप्रैल 14, 2009
तुझ पर भी न हो गुमान मेरा / फ़राज़
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