दूर सुनसान-से साहिल के क़रीब
एक जवाँ पेड़ के पास
उम्र के दर्द लिए वक़्त मटियाला दोशाला ओढ़े
बूढ़ा-सा पाम का इक पेड़, खड़ा है कब से
सैकड़ों सालों की तन्हाई के बद
झुक के कहता है जवाँ पेड़ से... ’यार!
तन्हाई है ! कुछ बात करो !’
मंगलवार, मई 12, 2009
लैंडस्केप-1
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें