मंगलवार, मई 12, 2009

'नीरज' गा रहा है

अब जमाने को खबर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है
जो झुका है वह उठे अब सर उठाए,
जो रूका है वह चले नभ चूम आए,
जो लुटा है वह नए सपने सजाए,
जुल्म-शोषण को खुली देकर चुनौती,
प्यार अब तलवार को बहला रहा है।
अब जमाने को खबर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है



हर छलकती आँख को वीणा थमा दो,
हर सिसकती साँस को कोयल बना दो,
हर लुटे सिंगार को पायल पिन्हा दो,
चाँदनी के कंठ में डाले भुजाएँ,
गीत फिर मधुमास लाने जा रहा है।
अब जमाने को खबर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है



जा कहो तम से करे वापस सितारे,
माँग लो बढ़कर धुएँ से अब अंगारे,
बिजलियों से बोल दो घूँघट उघारे,
पहन लपटों का मुकुट काली धरा पर,
सूर्य बनकर आज श्रम मुसका रहा है।
अब जमाने को खबर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है



शोषणों की हाट से लाशें हटाओ,
मरघटों को खेत की खुशबू सुँघाओं,
पतझरों में फूल के घुँघरू बजाओ,
हर कलम की नोक पर मैं देखता हूँ,
स्वर्ग का नक्शा उतरता आ रहा है।
अब जमाने को खबर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है



इस तरह फिर मौत की होगी न शादी,
इस तरह फिर खून बेचेगी न चाँदी,
इस तरह फिर नीड़ निगलेगी न आँधी,
शांति का झंडा लिए कर में हिमालय,
रास्ता संसार को दिखला रहा है।
अब जमाने को खबर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है

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