मंगलवार, मई 12, 2009

तेरी आवाज़ सुनाई दी है

एक परवाज़ दिखाई दी है
तेरी आवाज़ सुनाई दी है



जिस की आँखों में कटी थी सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है



सिर्फ़ एक सफ़ाह पलट कर उस ने
बीती बातों की सफ़ाई दी है



फिर वहीं लौट के जाना होगा
यार ने कैसी रिहाई दी है



आग ने क्या क्या जलाया है शव पर
कितनी ख़ुश-रंग दिखाई दी है

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