नाकामियों की बाद भी हिम्मत वही रही
ऊपर का दूध पी के भी ताक़त वही रही
शायद ये नेकियाँ हैं हमारी कि हर जगह
दस्तार के बग़ैर भी इज़्ज़त वही रही
मैं सर झुका के शहर में चलने लगा मगर
मेरे मुख़ालिफ़ीन में दहशत वही रही
जो कुछ मिला था माल-ए-ग़नीमत में लुट गया
मेहनत से जो कमाई थी दौलत वही रही
क़दमों में ला के डाल दीं सब नेमतें मगर
सौतेली माँ को बच्चों से नफ़रत वही रही
खाने की चीज़ें माँ ने जो भेजी हैं गाँव से
बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही
रविवार, मई 17, 2009
नाकामियों के बाद भी हिम्मत वही रही
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