रविवार, मई 17, 2009

इसी गली में वो भूखा किसान रहता है

इसी गली में वो भूखा किसान रहता है
ये वो ज़मीन है जहाँ आसमान रहता है

मैं डर रहा हूँ हवा से ये पेड़ गिर न पड़े
कि इस पे चिडियों का इक ख़ानदान रहता है

सड़क पे घूमते पागल की तरह दिल है मेरा
हमेशा चोट का ताज़ा निशान रहता है

तुम्हारे ख़्वाबों से आँखें महकती रहती हैं
तुम्हारी याद से दिल जाफ़रान रहता है

हमें हरीफ़ों की तादाद क्यों बताते हो
हमारे साथ भी बेटा जवान रहता है

सजाये जाते हैं मक़तल मेरे लिये ‘राना’
वतन में रोज़ मेरा इम्तहान रहता है

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