शरीफ़ इन्सान आख़िर क्यों एलेक्शन हार जाता है
किताबों में तो ये लिक्खा था रावन हार जाता है
जुड़ी हैं इससे तहज़ीबें सभी तस्लीम करते हैं
नुमाइश में मगर मिट्टी का बरतन हार जाता है
मुझे मालूम है तुमने बहुत बरसातें देखी हैं
मगर मेरी इन्हीं आँखों से सावन हार जाता है
अभी मौजूद है इस गाँव की मिट्टी में ख़ुद्दारी
अभी बेवा की ग़ैरत से महाजन हार जाता है
अगर इक कीमती बाज़ार की सूरत है यह दुनिया
तो फिर क्यों काँच की चूड़ी से कंगन हार जाता है.
रविवार, मई 17, 2009
शरीफ़ इन्सान आख़िर क्यों एलेक्शन हार जाता है
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