ख़ुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं में
माँगा था जिसे हम ने दिन रात दुआओं में
तुम छत पे नहीं आये वो घर से नहीं निकला
ये चाँद बहुत लटका सावन कि घटाओं में
इस शहर में इक लड़की बिल्कुल है ग़ज़ल जैसी
फूलों की बदन वाली ख़ुशबू-सी अदाओं में
दुनिया की तरह वो भी हँसते हैं मुहब्बत पर
डूबे हुए रहते थे जो लोग वफ़ाओं में
मंगलवार, अप्रैल 28, 2009
ख़ुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं में / बशीर बद्र
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