मंगलवार, अप्रैल 28, 2009

मैंने तेरी आँखों में पढ़ा / बशीर बद्र

मैंने तेरी आँखों में पढ़ा अल्लाह ही अल्लाह
सब भूल गया याद रहा अल्लाह ही अल्लाह।



फूलों में बसीं चांदनी रातों की नमाजें
शबनम में सितारों की दुआ, अल्लाह ही अल्लाह।



इक फूल ने कोनेन1 की दौलत मुझे दे दी
आँसू से हथेली पे लिखा अल्लाह ही अल्लाह।



हम लोग इसी पाक समन्दर की लहरें है
ला हाथ मेरे हाथ में ला अल्लाह ही अल्लाह।



इक नाम की तख्ती का शौक हुआ था
पानी पे हवाओं ने लिखा अल्लाह ही अल्लाह।



बादल की इबादत है, बरसता हुआ पानी
आँसू की गजल हम्दोसना2 अल्लाह ही अल्लाह।



पेड़ों की सफें3 तेरे फरिश्तों की किताबें
खामोश पहाड़ों की निदा4 अल्लाह ही अल्लाह।



वो सूरे यासीन5 के काफूर की खुश्बू
महके हुए फूलों की रिदा6 अल्लाह ही अल्लाह।



1-दोनो जहाँ
2-प्रार्थना या तारीफ
3-कतारें
4-आवाज
5-कुरान शरीफ आयात
6-चादर

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