सोमवार, मार्च 08, 2010

भूचाल जो मेरा मकान तोड़ जाएगा

भूचाल जो मेरा मकान तोड़ जाएगा
मुमकिन है अपने अश्क बहाँ छोड़ जाएगा

अंधा फ़क़ीर और फिर ये अजनबी शहर
जो भी मिलेगा उसको ग़लत मोड़ जाएगा

वो ख़ाली अब्र है तो क्या होंठों पे रख के देख
अपने बदन की कुछ तो नमी छोड़ जाएगा

तू काँच की ख़ुशी को सँभालेगा कब तलक
कोई उदास लम्हा उसे तोड़ जाएगा

नुकसान और लाभ का उसको पता नहीं
बालक है, एक साथ इन्हें जोड़ जाएगा.

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