अपने विश्वास को आप तोड़ा न कर
जो पराए हैम ख़त उनको खोला न कर
आँसुओं की किताबें खुली छोड़ कर
याद की धूप के पीछे दौड़ा न कर
मौत के बाद ही एक है ज़िन्दगी
मौत के नाम पर इतना सोचा न कर
तितलियाँ यायावर हो न जाएँ कहीं
तू बगीचे के फूलों को तोड़ा न कर
पार करना है दरिया तो चप्पू उठा
काग़ज़ी कश्तियों पे भरोसा न कर
सारी बस्ती ये नाबीना लोगों की है
इनके रस्ते में पत्थर तू रक्खा न कर
सोमवार, मार्च 08, 2010
अपने विश्वास को आप तोड़ा न कर
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