चार सू मेहरबाँ है चौराहा
अजनबी शहर अजनबी बाज़ार
मेरी तहवील में हैं समेटे चार
कोई रास्ता कहीं तो जाता है
चार सू मेहरबाँ है चौराहा
सोमवार, मार्च 15, 2010
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मेरी तहवील में हैं समेटे चार
कोई रास्ता कहीं तो जाता है
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