हमने जाना मगर क़रार के बाद
ग़म ही मिलते हैं एतबार के बाद
क्यूँ न सारे चराग़ गुल कर दें
कौन आता है इन्तिज़ार के बाद
ख़ुशबुओं की तलाश बंद करो
फूल खिलते नहीं बहार के बाद
इक नज़र दे गई क़रार मगर
दर्द बढ़ता गया क़रार के बाद
अक्स पूरा नज़र नहीं आता
आईने में किसी दरार के बाद
करना पड़ता है वक़्त का एज़ाज़
हमने जाना मगर ख़ुमार के बाद
सोमवार, मार्च 15, 2010
हमने जाना मगर क़रार के बाद
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