शनिवार, मई 02, 2009

हिंज़ाबों में भी तू नुमायूँ नुमायूँ

हिंज़ाबों में भी तू नुमायूँ नुमायूँ
फरोज़ाँ फरोज़ाँ दरख्शाँ दरख्शाँ



तेरे जुल्फ-ओ-रुख़ का बादल ढूंढता हूँ
शबिस्ताँ शबिस्ताँ चाराघाँ चाराघाँ



ख़त-ओ-ख़याल की तेरे परछाइयाँ हैं
खयाबाँ खयाबाँ गुलिस्ताँ गुलिस्ताँ



जुनूँ-ए-मुहब्बत उन आँखों की वहशत
बयाबाँ बयाबाँ गज़लाँ गज़लाँ



लपट मुश्क-ए-गेसू की तातार तातार
दमक ला'ल-ए-लब की बदक्शाँ बदक्शाँ



वही एक तबस्सुम चमन दर चमन है
वही पंखूरी है गुलिस्ताँ गुलिस्ताँ



सरासार है तस्वीर जमीतों की
मुहब्बत की दुनिया हरासाँ हरासाँ



यही ज़ज्बात-ए-पिन्हाँ की है दाद काफी
चले आओ मुझ तक गुरेजाँ गुरेजाँ



"फिराक" खाज़ीं से तो वाकिफ थे तुम भी
वो कुछ खोया खोया परीशाँ परीशाँ

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