शनिवार, मई 02, 2009

मेरे दुख की कोई दवा न करो

मेरे दुख की कोई दवा न करो
मुझ को मुझ से अभी जुदा न करो



नाख़ुदा को ख़ुदा कहा है तो फिर
डूब जाओ, ख़ुदा ख़ुदा न करो



ये सिखाया है दोस्ती ने हमें
दोस्त बनकर कभी वफ़ा न करो



इश्क़ है इश्क़, ये मज़ाक नहीं
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो



आशिक़ी हो या बंदगी 'फ़ाकिर'
बे-दिली से तो इबतिदा न करो

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