शनिवार, मई 02, 2009

दिल की दीवार-ओ-दर पे क्या देखा

दिल की दीवार-ओ-दर पे क्या देखा
बस तेरा नाम ही लिखा देखा



तेरी आँखों में हमने क्या देखा
कभी क़ातिल कभी ख़ुदा देखा



अपनी सूरत लगी प्यारी सी
जब कभी हमने आईना देखा



हाय अंदाज़ तेरे रुकने का
वक़्त को भी रुका रुका देखा



तेरे जाने में और आने में
हमने सदियों का फ़ासला देखा



फिर न आया ख़याल जन्नत का
जब तेरे घर का रास्ता देखा

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