शुक्रवार, मई 29, 2009

जो कहते हैं कहीं दरिया नहीं है

जो कहते हैं कहीं दरिया नहीं है

सुना उन से कोई प्यासा नहीं है।


दिया लेकर वहाँ हम जा रहे हैं

जहाँ सूरज कभी ढलता नहीं है।


न जाने क्यों हमें लगता है ऎसा

ज़मीं पर आसमाँ साया नहीं है।


थकन महसूस हो रुक जाना चाहें

सफ़र में मोड़ वह आया नहीं है।


चलो आँखों में फिर से नींद बोएँ

कि मुद्दत से उसे देखा नहीं है।

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